"वासुदेव उवाच"
"संसार हा खैराचा वृक्ष आहे, चढायला लागलात की इतके काटे बोचतात की तुम्हाला आईचं दूध आठवतं."
|| नमो गुरवे वासुदेवाय ||
परमपूज्य सद्गुरु श्री बापट गुरुजींची आरती

आरती वासुदेवा, माझ्या सद्गुरुवर्या |             दत्तशक्ती अनघेची, साथ शक्तिजागरासी |
नमितो तव चरणी, दावि दया कृपाळा |            योग याग भक्ती सवे, शुभ निर्मिल्या लहरी |
दया कृपाळा || आरती वासुदेवा ||धृ.||          निर्मिल्या लहरी || आरती वासुदेवा ||५||

परब्रह्म अवतारी, वर्ते सम अंतर्बाह्यी |              तीर्थे यात्रा घडविली, संत समागमी धाली |
तेजोमय रूप तुझे, स्वरूप आनंद देई |           वाढविली भक्ती अवनी, करवी कर्मे निष्कामी |
आनंद देई || आरती वासुदेवा ||१||                  कर्मे निष्कामी || आरती वासुदेवा ||६||

लोपले यज्ञ जगी, जन अज्ञानी वर्तती |              तूचिं वासुदेवानंद, तूचिं नृसिंह श्रीपाद |
यज्ञेश्वर नारायणे, दिला प्रकाश जनांसी |           आळविता नाम तुझे, दत्ततत्त्व जाणे भक्त |
प्रकाश जनांसी || आरती वासुदेवा ||२||            तत्त्व जाणे भक्त || आरती वासुदेवा ||७||

विवेचनी दिले ज्ञान, अविद्येची बोळवण |           ब्रह्मरूप निर्मळ तू, तूचिं अविनाशी सत्य |
तप दान सेवा व्रते, भक्तां दाविला सन्मार्ग |        आस तव चरणांची, देई स्वरूप चिन्मात्र |
दाविला सन्मार्ग || आरती वासुदेवा ||३||            स्वरूप चिन्मात्र || आरती वासुदेवा ||८||

मूर्तीमंत वेद जाण, स्मर्तृगामी तूचिं नित्य |         आरती वासुदेवा, माझ्या सद्गुरुवर्या |
साधने यंत्र मंत्रे, केली मने बळवंत |                 नमितो तव चरणी, दावि दया कृपाळा |
मने बळवंत || आरती वासुदेवा ||४||                दया कृपाळा || आरती वासुदेवा ||धृ.||


|| श्री सद्गुरु गजर ||
|| पतितोद्धारक ज्ञानसागर यज्ञेश्वर योगिराज सद्गुरु श्रीमान् वासुदेव बापट गुरुजी की जय ||